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लेखनी प्रतियोगिता -08-Aug-2022

जिंदगी की डगर

जिंदगी बिताई थी अब तक 
चंद सांसें लेने शुरू की है मैने।

सुनता आया था सभी की अब तक
चंद अल्फाज़ कहने शुरू किए है मैंने 

फूलों की खूबसूरती तो सभी ने देखी है,
कांटो की चुभन को महसूस किए है मैंने

खुशियों में साथ खड़े लोग नजर आते है,
तन्हा अकेले में दर्द सह है मैंने।

भीड़ में तारीफ करेंगे काफी आपकी,
अकेले में रोता साया देखा है मैंने।

खुला है आसमां है परिंदों के लिए,
अनदेखा खुद के लिए दायरा देखा है मैंने।

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7 Comments

Punam verma

10-Aug-2022 11:30 PM

Very nice

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Abhinav ji

10-Aug-2022 08:54 AM

Very nice👍

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Raziya bano

09-Aug-2022 10:16 AM

Nice

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